राधास्वामी पंथ का खुलासा
राधास्वामी पंथ एक ऐसा पंथ है जो बसंत पंचमी के दिन सन् 1861 से चला आ रहा है और जिसके सत्संग सेंटर भारत के छोटे गाँव हों या विदेशों के विकसित शहर, हर कहीं मिल ही जाएंगे। राधास्वामी और इससे निकले हुए अन्य पंथों की बात की जाए तो करीब 100 से अधिक देशों में इनके सत्संग सेंटर फैले हुए हैं। भारत का कोई मध्यम हो या अमीर घराना, कोई मजदूर हो या उच्च अधिकारी घराना, कोई ना कोई परिवार का सदस्य राधास्वामी मत के विचारों से प्रभावित मिल ही जाएगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक ऐसा मत है जिसका नाम सुनते ही लगता है कि इस पंथ से जुड़ते ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक कौन थे? राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक सेठ श्री शिवदयाल जी थे, जिन्होंने 1861 में आगरा से इस पंथ की शुरूआत की। शिवदयाल जी को राधास्वामी जी भी कहते थे क्योंकि, भक्तजन श्री शिवदयाल जी की धर्मपत्नी को प्यार से राधा जी भी कहते थे और राधा के स्वामी शिवदयाल जी अर्थात शिवदयाल जी को ही राधास्वामी कहा जाता है। राधास्वामी पंथ को आज लगभग डेढ़ सौ साल से भी ऊपर हो चुके हैं। इस पंथ से करोड़ों अनुयायी जुड़े हुए हैं और राधास्वामी पंथ क...