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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बकरा ईद

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क्यों मनाई जाती है बकरीद? अरबी में बकरीद का मतलब (Meaning)  होता है –  “क़ुरबानी की ईद। ” इस्लाम धर्म  में विश्वास रखने वाले लोगों का यह एक प्रमुख  त्यौहार (Festival)  है। यह  रमज़ान  के पवित्र महीने की समाप्ति के 70 दिनों बाद मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे (बलि देने जा रहे थे) तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है और फिर शुरू हुई परम्परा बकरीद मनाने की। विचारणीय विषय है कि हजरत इब्राहिम अपने पुत्र  हजरत ...

जैन धर्म की सच्चाई

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ऋषभदेव वाली आत्मा बाबा आदम बनकर जन्मी जो प्रथम पुरूष तथा नबी माना जाता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी हुए लेकिन जैन धर्म का जो वास्तविक पुनरुत्थान हुआ वह तो चौबिसवें तीर्थंकर महावीर जैन से हुआ। कबीर परमेश्वर जी अपने विधान अनुसार अच्छी आत्मा को मिलते हैं। उसी गुणानुसार कबीर साहेब जी ऋषभदेव जी के पास ऋषि रूप में गए। कबीर परमात्मा जी ने अपना नाम ‘कबि ऋषि’ बताया तथा कहा कि आप जो साधना कर रहे हैं इससे आपको पूर्ण मोक्ष हासिल नहीं होगा। मैं सत्य साधना बताता हूं वह करो। और भी बहुत सारे प्रमाण समझाये जिन्हें सुनकर राजा ऋषभदेव जी की आत्मा को झटका लगा जैसे कोई गहरी नींद से जागा हो। लेकिन ऋषभदेव जी के जो कुल गुरु ऋषिजन थे उन्होंने ऋषभदेव को नाम तथा हठयोग करके तप करने की विधि बताई थी जिसमें ऋषभदेव दृढ़ हो चुके थे। उन्होंने कबीर साहेब जी की बात नहीं मानी। जानिये जैन धर्म की स्थापना कैसे हुई ? राजा ऋषभदेव ने परमात्मा प्राप्ति करने तथा जन्म-मरण के दुःखद चक्र से छूटने के लिए वैराग्य धारण करने की ठानी। घर त्यागकर जंगल में चले गए। परमेश्वर कबीर जी भी जंगल में गए और ऋषभदेव जी से दौबारा मिले तथा क...

गुरू बिन मोक्ष नही

प्रश्न:- क्या गुरू के बिना भक्ति नहीं कर सकते? उत्तर: - भक्ति कर सकते हैं, परन्तु व्यर्थ प्रयत्न रहेगा। प्रश्न: - कारण बताऐं? उत्तर: - परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है  कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान। गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।। कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरू कीन्ह। तीन लोक के वे धनी, गुरू आगे आधीन।। कबीर, राम कृष्ण बड़े तिन्हूं पुर राजा। तिन गुरू बन्द कीन्ह निज काजा।। भावार्थ: - गुरू धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फिराते हंै और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आप जी को संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें। श्रीमद् भगवत गीता चारों वेदों का सारांश है। गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा कि हे श्री कृष्ण! मैं आपका शिष्य हूँ, आपकी शरण में हूँ। गीता अध्याय 4 श्लोक 3 में श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके काल ब्रह्म ने अर्जुन से कहा कि तू मेरा भक्त है। पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की...

क्या शिव पूजा से मोक्ष संभव है?

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जानिए Sawan Somvar 2020 के बारे में विस्तृत व वास्तविक जानकरी, जैसे क्या Om Namah Shivay या हर हर महादेव Mantra के जाप से मोक्ष संभव है?, क्या Vrat करना श्री भगवत गीता जी के अनुसार सही है या इससे मुक्ति संभव है? "> Sawan Somvar 2020 :  आज पाठक गण जानेंगे सावन के पावन महीने या Sawan Ka Pahala Somvar के पूजा पाठ, कर्मकांड और तैयारियों के बारे में और जानेंगे सनातन संस्कृति में मास, तिथि, वार और यह महीना भोलेनाथ को समर्पित क्यों होता है? क्या क्या  Om namah shivay  से या  हर हर महादेव  से मुक्ति संभव है? Sawan Somvar 2020-मुख्य बिन्दु (Headlines) हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास पांचवा महीना होता है संयोग से यह श्रावण महीना सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त 6 जुलाई 2020 (पहला सोमवार) से लेकर 3 अगस्त 2020 (पाँचवा सोमवार) तक हर सोमवार को शिवलिंग पर होगा जलाभिषेक और श्रद्धालु रखेंगे व्रत देवी पार्वती ने इस महीने में की थी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या शिवजी ने सावन के महीने में ही किया था विषपान इंद्र ने वर्षा की थी कैलाश पति को विष की गर्मी ...