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MP Mandsaur News: हिन्दू संत “संत रामपाल जी” के सत्संग में बजरंग दल के गुंडों द्वारा चलाई गईं गोलियां

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दिनांक 12 दिसम्बर 2021, दिन रविवार को मध्यप्रदेश जिला मंदसौर में सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा दहेजमुक्त विवाह (रमैनी) एवं सत्संग का कार्यक्रम चलाया जा रहा था जिसमें बजरंग दल व विश्व हिन्दू परिषद के कुछ बदमाशों ने  लाठी डंडे लेकर धावा बोला एवं गोलियां बरसाईं। इस दौरान एक 55 वर्षीय भक्त देवीलाल मीणा पुत्र उदयराम मीणा की गोली लगने से मौत हो गई। Contents   hide MP Mandsaur News के मुख्य बिंदु MP Mandsaur News: बजरंग दल के बदमाशों ने सत्संग में चलाई गोलियां बजरंग दल के बदमाशों के द्वारा हुए कई घायल और एक मृत वीडियो में देख सकतें हैं बजरंग दल व विहिप की दादागिरी एक नहीं अनेकों बार हुआ जलियांवाला कांड सन्त रामपाल जी ने किया है समाज सुधार यह लड़ाई सच और झूठ के बीच की है सन्त रामपाल जी के अनुयायी क्यों नहीं करते पलटवार तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी ने बताया परमात्मा का संविधान MP Mandsaur News के मुख्य बिंदु 12 दिसम्बर 2021, रविवार को मंदसौर में आयोजित सन्त रामपाल जी के सत्संग में बदमाशो ने चलाई गोलियां। बजरंग दल के गुंडे लाठी डंडे लेकर आये एवं अंधाधुंध प्रहार किया...

कबीर साहेब के हिन्दू मुस्लिम को चेताने और नारी सम्मान के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित (Kabir Saheb Ke Dohe in Hindi)

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हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्म की प्रभु प्रेमी आत्माएं विभिन्न प्रकार की मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का पालन करती हैं। हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के अनुसार वह जिस भगवान, अल्लाह की पूजा करते हैं वह ही श्रेष्ठ, सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर जी ( Kabir Ke Dohe in Hindi ) कहते हैं कि मैंने यह शरीर आत्माओं को परमात्मा के बारे में जानने और मुक्त करने के लिए प्राप्त किया है। कबीर जी वास्तव में सर्वोच्च ईश्वर हैं जो एक संत के रूप में प्रकट हुए, वे धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे। कबीर साहिब जी हिंदू और मुसलमान दोनों को कहते थे कि तुम ‘सब मेरी संतान हो’, कबीर साहिब वाणी में कहते हैं कि कहाँ से आया कहाँ जाओगे, खबर करो अपने तन की। कोई सदगुरु मिले तो भेद बतावें, खुल जावे अंतर खिड़की।। भावार्थ:  जीव कहाँ से आया है और कहाँ जाएगा? पंडित और मौलवी इसका जबाब धर्मग्रंथों से देते हैं। कबीर साहब कहते हैं कि इस प्रश्न का सही जवाब चाहिए तो किसी सद्गुरु की मदद लो। जब तक अंतर आत्मा से परमात्मा को पाने की कसक नहीं उठेगी तब तक जीव को इस सवाल का सही जवाब नहीं मिलेगा कि इस दुनिया में वो कहाँ से आया है और...

राधास्वामी पंथ का खुलासा

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राधास्वामी पंथ एक ऐसा पंथ है जो बसंत पंचमी के दिन सन् 1861 से चला आ रहा है और जिसके सत्संग सेंटर भारत के छोटे गाँव हों या विदेशों के विकसित शहर, हर कहीं मिल ही जाएंगे। राधास्वामी और इससे निकले हुए अन्य पंथों की बात की जाए तो करीब 100 से अधिक देशों में इनके सत्संग सेंटर फैले हुए हैं। भारत का कोई मध्यम हो या अमीर घराना, कोई मजदूर हो या उच्च अधिकारी घराना, कोई ना कोई परिवार का सदस्य राधास्वामी मत के विचारों से प्रभावित मिल ही जाएगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक ऐसा मत है जिसका नाम सुनते ही लगता है कि इस पंथ से जुड़ते ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक कौन थे? राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक सेठ श्री शिवदयाल जी थे, जिन्होंने 1861 में आगरा से इस पंथ की शुरूआत की। शिवदयाल जी को राधास्वामी जी भी कहते थे क्योंकि, भक्तजन श्री शिवदयाल जी की धर्मपत्नी को प्यार से राधा जी भी कहते थे और राधा के स्वामी शिवदयाल जी अर्थात शिवदयाल जी को ही राधास्वामी कहा जाता है। राधास्वामी पंथ को आज लगभग डेढ़ सौ साल से भी ऊपर हो चुके हैं। इस पंथ से करोड़ों अनुयायी जुड़े हुए हैं और राधास्वामी पंथ क...

बकरा ईद

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क्यों मनाई जाती है बकरीद? अरबी में बकरीद का मतलब (Meaning)  होता है –  “क़ुरबानी की ईद। ” इस्लाम धर्म  में विश्वास रखने वाले लोगों का यह एक प्रमुख  त्यौहार (Festival)  है। यह  रमज़ान  के पवित्र महीने की समाप्ति के 70 दिनों बाद मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे (बलि देने जा रहे थे) तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है और फिर शुरू हुई परम्परा बकरीद मनाने की। विचारणीय विषय है कि हजरत इब्राहिम अपने पुत्र  हजरत ...